पप्पू की फ़िल्टर मशीन और पानी का ज्ञान
पप्पू की फ़िल्टर मशीन और पानी का ज्ञान
पप्पू हमेशा से ही कुछ न कुछ नया करने के सपने देखता था। एक दिन उसने सोचा कि अपने गाँव में फ़िल्टर पानी बेचने का धंधा शुरू करेगा। उसने शहर जाकर एक बढ़िया सी फ़िल्टर मशीन खरीदी और बड़े जोश के साथ गाँव में लगा दी।
अब पप्पू का नियम था कि जो भी पानी भरने आए, उसे पहले फ़िल्टर पानी के फ़ायदे समझाएगा।
पानी भरने वालों की मुसीबत
गाँव वाले जब भी उसके पास पानी लेने आते, पप्पू तुरंत अपना ज्ञान देना शुरू कर देता—
"देखो भाई, फ़िल्टर पानी पीने से तुम्हारे पेट के कीड़े मर जाते हैं!"
"फ़िल्टर पानी से चेहरा चमकने लगता है!"
"फ़िल्टर पानी पीने से दिमाग तेज़ हो जाता है!"
और तो और, वह हर फायदे को बताने के लिए कम से कम आधा घंटा लगाता था। लोग पानी लेने आए थे, लेकिन पप्पू के ज्ञान प्रवचन में ही फँस जाते।
गाँव वालों की चालाकी
धीरे-धीरे गाँव वालों को समझ आ गया कि अगर जल्दी पानी चाहिए, तो पप्पू से पहले ही कोई पूछ ले—
"अच्छा पप्पू भाई, फ़िल्टर पानी पीने से बकरी का दूध भी मीठा हो जाता है?"
बस, फिर क्या था! पप्पू अपने ज्ञान के नशे में ऐसा उलझता कि पानी लेने वाले चुपचाप बाल्टी भरकर भाग जाते।
पप्पू की आखिरी चाल
जब पप्पू को यह चाल समझ में आई, तो उसने एक नया नियम बना दिया—
"पहले मेरा ज्ञान सुनो, फिर ही पानी मिलेगा!"
अब गाँव वाले एक और चालाकी करने लगे। वे पप्पू से बोलते—
"अरे भाई, पहले हमें अपने फ़िल्टर पानी से बनी चाय पिलाओ, फिर हम तुम्हारी पूरी बात सुनेंगे!"
पप्पू झटपट चाय बनाने में लग जाता और इधर गाँव वाले फ़्री में पानी भरकर भाग जाते!
अंत में क्या हुआ?
आखिरकार, पप्पू को समझ आ गया कि लोग पानी कम और उसकी बातें ज्यादा पी रहे हैं! उसने तय किया कि अब वह बिना भाषण दिए ही पानी बेचेगा। मगर तब तक गाँव वालों ने अपनी ही फ़िल्टर मशीन खरीद ली थी!
बेचारा पप्पू… अब खुद अपनी मशीन से पानी भरकर पीता था और खुद को ही ज्ञान देता था!
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