पप्पू और उसकी ज़िंदगी की उलझन


 पप्पू और उसकी ज़िंदगी की उलझन

पप्पू एक साधारण गाँव का लड़का था, जिसे उसकी माँ ने बड़े लाड़-प्यार से पाला था। बचपन से ही उसकी माँ उसे समझाया करती थी, "बेटा, जब भी कोई बड़ा फैसला लेना हो, पहले सोचना, फिर करना।" लेकिन पप्पू हमेशा जल्दबाजी में फैसले लेने का आदी था।

समय बीता, और पप्पू बड़ा हो गया। परिवार की मर्जी से उसकी शादी राधा से हो गई। राधा एक समझदार और सुलझी हुई लड़की थी, लेकिन पप्पू को शादीशुदा ज़िंदगी की गंभीरता समझ नहीं आई। छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होती और पप्पू बिना सोचे-समझे तलाक देने की धमकी देता। आखिरकार, गुस्से में आकर उसने तलाक के कागजों पर दस्तखत कर दिए।

जब यह खबर उसकी माँ को मिली, तो उन्होंने अपना सिर पकड़ लिया और बोलीं, "बेटा, मैंने तुझे इतने प्यार से पाला था, इतनी मेहनत की थी, और तूने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला इतनी आसानी से ले लिया? तूने हमारे नाम की मिट्टी में मिला दी!"

पप्पू को तब एहसास हुआ कि उसने ग़लती की है। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। गाँव में उसकी प्रतिष्ठा गिर गई, माँ ने उससे बात करना बंद कर दिया, और राधा अपनी नई ज़िंदगी में आगे बढ़ गई।

सीख:

किसी भी बड़े फैसले को जल्दबाजी में नहीं लेना चाहिए। रिश्ते विश्वास और समझदारी से बनते हैं, और गुस्से में लिए गए फैसले ज़िंदगी भर का पछतावा बन सकते हैं।


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