शक का बीज (हास्य कहानी)

 


शक का बीज (हास्य कहानी)

पप्पू ने कॉलेज में एक लड़की, सीमा, को पटाकर उससे शादी कर ली। प्यार के फूल खिले, पर शादी के बाद शक का बीज भी अंकुरित हो गया।

शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे पप्पू को शक होने लगा कि सीमा उससे कुछ छुपा रही है। एक दिन उसने देखा कि सीमा किसी फॉर्म पर कुछ भर रही थी। पप्पू ने झाँककर देखा – "सरकारी नौकरी का फॉर्म!"

पप्पू के होश उड़ गए। उसने तुरंत अपने दोस्त लल्लू से चर्चा की –
पप्पू: "भाई, मुझे शक हो रहा है, मेरी बीवी कुछ छुपा रही है।"
लल्लू: "क्या हुआ?"
पप्पू: "वो सरकारी नौकरी का फॉर्म भर रही थी!"
लल्लू: "अरे वाह! अच्छी बात है न!"
पप्पू: "नहीं बे, मुझे लगता है कि वो पहले से ही नौकरी में थी, और मुझसे छुपाया!"

पप्पू के दिमाग़ में तूफ़ान चलने लगा – "अगर सीमा पहले से नौकरी में थी, तो उसने मुझसे शादी क्यों की? क्या वो सिर्फ़ मेरे घर के परांठों के लिए आई थी?"

अब पप्पू हर रोज़ सीमा से सवाल करने लगा –
"तुम कहीं ऑफिस जाती थी पहले?"
"तुम्हारा पहले से सैलेरी अकाउंट था?"
"तुम्हारे पास इतने बढ़िया कपड़े कैसे आए?"

बेचारी सीमा परेशान हो गई।

फिर एक दिन पप्पू ने सीमा को मोबाइल पर बात करते सुना –
सीमा: "हाँ, मेरी फाइल प्रोसेस में है... जल्दी हो जाएगा..."

बस, पप्पू का शक पक्का हो गया! उसने सोचा – "लो भई! अब ये नौकरी में सेटल होते ही मुझे छोड़ देगी!"

पप्पू ने घर में हंगामा कर दिया – "अब तो तलाक़ ही होगा!"
बेचारी सीमा को कुछ समझ नहीं आया कि पप्पू को हुआ क्या है।

तलाक़ के बाद पप्पू को एक दिन पता चला कि सीमा तो नौकरी लगने की कोशिश कर रही थी, पहले से नौकरी में नहीं थी!

पप्पू का माथा पकड़ कर बैठ गया –
"अरे यार! शक का बीज खुद ही बोया, और अब पेड़ उग गया!"

अब बेचारा पप्पू फिर से कॉलेज की लड़कियों पर नज़र डाल रहा है, लेकिन इस बार सोच-समझ कर!

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