पप्पू का घमंड
पप्पू का घमंड
पप्पू पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन इस बार उसके पास एक खास सहारा था—उसके पिता ही परीक्षा के सुपरवाइजर थे! जब परीक्षा का समय आया, तो पप्पू निश्चिंत था। उसके पिता ने उसकी मदद कर दी, और बिना मेहनत किए ही वह पास हो गया।
रिजल्ट के बाद पप्पू इतराने लगा। वह दोस्तों से कहने लगा, "देखा! मैं तो बिना मेहनत के ही पास हो गया। तुम्हें घंटों पढ़ना पड़ा, लेकिन मेरा काम तो एक झटके में हो गया!"
धीरे-धीरे पप्पू का घमंड बढ़ता गया। वह खुद को बहुत होशियार समझने लगा और स्कूल में दूसरों को नीचा दिखाने लगा। लेकिन अगली परीक्षा में हालात बदल गए—इस बार उसके पिता सुपरवाइजर नहीं थे।
परीक्षा में आते ही पप्पू के हाथ-पाँव फूल गए। उसने कुछ भी नहीं पढ़ा था, और अब उसे कोई मदद भी नहीं मिल सकती थी। जैसे ही उसने नकल करने की कोशिश की, शिक्षक ने उसे पकड़ लिया। पूरी कक्षा के सामने उसकी सख्त फटकार लगी और स्कूल में उसकी बेइज्जती हो गई।
पप्पू को समझ आ गया कि बिना मेहनत की सफलता टिकती नहीं। अब उसने ठान लिया कि वह खुद की काबिलियत से ही आगे बढ़ेगा।
शिक्षा: घमंड और अनुचित तरीके से मिली सफलता अधिक समय तक नहीं टिकती। असली सफलता मेहनत और ईमानदारी से ही मिलती है।
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