पप्पू की भक्ति और अच्छाइयों की हास्य कहानी

 


पप्पू की भक्ति और अच्छाइयों की हास्य कहानी

पप्पू को समाज में अपनी अच्छी छवि बनाने का बहुत शौक था। इसलिए वह धर्म का ऐसा दिखावा करता कि देखने वाले भी चकरा जाएं।

धर्मप्रेमी पप्पू

एक दिन पप्पू ने अपने घर में बड़ी-सी मूर्ति स्थापित की। उसके दोस्तों ने पूछा, "भाई, अचानक इतनी भक्ति?"
पप्पू बोला, "बस, अब मैं बड़ा धार्मिक आदमी बन गया हूँ।"
फिर उसने मूर्ति के सामने गंगाजल और दूध चढ़ाने की बजाए एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल उड़ेल दी। दोस्त चौंक गए, "ये क्या कर रहा है?"
पप्पू गंभीरता से बोला, "भगवान को भी ज़माने के साथ बदलना चाहिए, पुराने ज़माने में गंगा जल था, अब कोल्ड ड्रिंक का जमाना है!"

पांव पकड़ने का नाटक

पप्पू को जब भी किसी से काम करवाना होता, वह उसके पैर पकड़ लेता। गाँव में एक दिन उसने नेता जी के पैर पकड़ लिए। नेता जी खुश होकर बोले, "बेटा, क्या चाहिए?"
पप्पू ने झट से कहा, "बस एक सरकारी ठेका दिलवा दीजिए!"
नेता जी समझ गए कि यह तो पैरों के सहारे ऊँचाई पर चढ़ने वाला आदमी है।

पत्नी और परोपकार

पप्पू की पहली पत्नी उसे छोड़कर चली गई क्योंकि वह दूसरों के सामने खुद को बहुत अच्छा दिखाने की कोशिश करता था, लेकिन घर में आलसी था। अब वह दूसरी शादी के मूड में था। हर महिला के सामने बोलता, "औरत की इज्जत करना हमसे सीखो!"
एक दिन उसके दोस्त ने पूछ लिया, "पहली पत्नी किधर गई?"
पप्पू ने लंबी सांस ली और बोला, "अरे भाई, मैं इतना अच्छा था कि वो खुद को मेरे लायक नहीं समझ पाई और चली गई!"

निष्कर्ष

पप्पू की अच्छाइयाँ सिर्फ दिखावे की थीं, लेकिन समाज में उसे धार्मिक, दयालु और नेकदिल आदमी माना जाता था। असली धर्म क्या होता है, यह कोई उससे पूछता ही नहीं था!

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