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गुरुजी और पप्पू की मज़ेदार सीख

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  गुरुजी और पप्पू की मज़ेदार सीख पप्पू अपने गाँव में अपनी शरारतों के लिए मशहूर था। वो बात-बात पर किसी को भी पीटने के लिए तैयार रहता था। गाँव वाले उससे परेशान थे, तो एक दिन पप्पू का दोस्त रमेश गुरुजी के पास गया और बोला, "गुरुजी, पप्पू हर किसी को मारता रहता है, इसका कुछ इलाज करिए!" गुरुजी मुस्कुराए और बोले, "ठीक है, मैं इसका दुःख दूर कर दूँगा!" गुरुजी ने पप्पू को बुलाया और उसे कुछ उपदेश दिए, जिससे पप्पू की सोच बदल गई। अब वो लोगों से प्यार से बात करने लगा और मारपीट बंद कर दी। एक दिन गाँव में एक अजनबी आया। उसने पप्पू से झगड़ा कर लिया और गुस्से में बोला, "मैं तेरा पैर काट डालूंगा, फिर जा के अपने गुरु से कहना कि ठीक कर दें!" पप्पू हँसते हुए बोला, "ऐसा थोड़ी होता है भाई! गुरुजी तो बुरी आदतें सुधारते हैं, पैर जोड़ने का काम नहीं करते!" गाँव वाले हँसने लगे और गुरुजी की सीख की तारीफ करने लगे। पप्पू को भी समझ आ गया कि ताकत से ज्यादा बड़ी चीज़ अक़्ल होती है।

पप्पू की फ़िल्टर मशीन और पानी का ज्ञान

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  पप्पू की फ़िल्टर मशीन और पानी का ज्ञान पप्पू हमेशा से ही कुछ न कुछ नया करने के सपने देखता था। एक दिन उसने सोचा कि अपने गाँव में फ़िल्टर पानी बेचने का धंधा शुरू करेगा। उसने शहर जाकर एक बढ़िया सी फ़िल्टर मशीन खरीदी और बड़े जोश के साथ गाँव में लगा दी। अब पप्पू का नियम था कि जो भी पानी भरने आए, उसे पहले फ़िल्टर पानी के फ़ायदे समझाएगा। पानी भरने वालों की मुसीबत गाँव वाले जब भी उसके पास पानी लेने आते, पप्पू तुरंत अपना ज्ञान देना शुरू कर देता— "देखो भाई, फ़िल्टर पानी पीने से तुम्हारे पेट के कीड़े मर जाते हैं!" "फ़िल्टर पानी से चेहरा चमकने लगता है!" "फ़िल्टर पानी पीने से दिमाग तेज़ हो जाता है!" और तो और, वह हर फायदे को बताने के लिए कम से कम आधा घंटा लगाता था। लोग पानी लेने आए थे, लेकिन पप्पू के ज्ञान प्रवचन में ही फँस जाते। गाँव वालों की चालाकी धीरे-धीरे गाँव वालों को समझ आ गया कि अगर जल्दी पानी चाहिए, तो पप्पू से पहले ही कोई पूछ ले— "अच्छा पप्पू भाई, फ़िल्टर पानी पीने से बकरी का दूध भी मीठा हो जाता है?" बस, फिर क्या था! पप्पू अपने ज्ञान...

पप्पू की दादागिरी और टू-व्हीलर वाला

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  पप्पू की दादागिरी और टू-व्हीलर वाला एक दिन पप्पू अपनी नई-नई चमचमाती कार लेकर घर की ओर जा रहा था। जैसे ही उसके घर का गेट आया, उसने अचानक ब्रेक मार दिया और बीच सड़क पर ही कार खड़ी कर दी। पीछे से आ रहे एक टू-व्हीलर वाले को कुछ समझ नहीं आया और धड़ाम! सीधा पप्पू की कार से टकरा गया। टू-व्हीलर वाला (गुस्से में): "अबे भाई, ब्रेक मारना था तो साइड में मारता! बीच सड़क पर गाड़ी रोकेगा तो एक्सीडेंट ही होगा ना!" पप्पू (दादागिरी दिखाते हुए): "अबे, ये रास्ता मेरा बाप का है! तुझे ध्यान रखना चाहिए था!" टू-व्हीलर वाला (हैरानी से): "अरे! तेरे बाप का रास्ता? तो चल, तेरे बाप से रसीद दिखा, देखता हूँ कौनसा मालिकाना हक है!" इतने में मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए और हंसी-ठिठोली शुरू हो गई। एक चाचा (हंसते हुए): "अरे पप्पू, अगर ये रास्ता तेरे बाप का है तो टोल टैक्स भी लगा दे!" दूसरा पड़ोसी: "और हाँ, तू तो रोज़ सड़क पर गाड़ी धोता है, इसका मतलब ये रास्ता तेरा वॉशिंग एरिया भी है?" पप्पू हक्का-बक्का रह गया। उसकी सारी दादागिरी हवा हो गई और लोगों की हंसी के बीच व...

पप्पू और उसके चाचा की महाभारत

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  पप्पू और उसके चाचा की महाभारत गांव का नाम था शांतिनगर , लेकिन वहां शांति नाम की कोई चीज़ नहीं थी। और इसकी सबसे बड़ी वजह थे पप्पू और उसके चाचा । दोनों के झगड़े में पूरा गांव फंस चुका था—कभी खेत की मेड़ पर, कभी कुएं के पास, तो कभी पंचायत के चौक में। झगड़े की पहली किस्त – ज़मीन के लिए संग्राम पप्पू के दादा ने अपनी ज़मीन दो हिस्सों में बांटी थी। चाचा को पूरब की तरफ़ का टुकड़ा मिला और पप्पू को पश्चिम का। लेकिन असली समस्या तब शुरू हुई जब पप्पू ने एक गाय बांधने के लिए खूंटा गाड़ा, जो चाचा की ज़मीन में थोड़ा घुस गया। बस, चाचा भड़क गए— "अरे! ये तो ज़मीन हड़पने की साजिश है!" दोनों में तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई, और बात थाने तक पहुंच गई । पुलिस आई, दोनों पक्षों की बात सुनी और जब उन्हें पता चला कि झगड़ा बस एक खूंटे के कारण हुआ है , तो इंस्पेक्टर ने माथा पकड़ लिया। नेतागिरी का भूत गांव में चुनाव होने वाले थे। पप्पू और चाचा दोनों प्रधान बनने की दौड़ में थे । अब कौन पीछे हटे? चाचा ने वादा किया— "गांव में सीसी रोड बनवाऊंगा!" पप्पू ने पलटवार किया— "मैं तो स्कूल के ल...

पप्पू की दूसरी शादी: लेने गए ऑडी, ले आए JCB – मजेदार कहानी

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  पप्पू की दूसरी शादी: लेने गए ऑडी, ले आए JCB – मजेदार कहानी पप्पू की पहली शादी ज्यादा दिन नहीं चली, इसलिए दूसरी शादी खास होनी थी। इस बार उसने तय किया कि शादी में उसे शानदार गाड़ी गिफ्ट में मिलेगी। उसने सोचा था कि ससुराल वाले उसे ऑडी या मर्सिडीज देंगे। शादी का दिन आ गया। बैंड-बाजे के साथ पप्पू घोड़ी चढ़ा और खूब ऐंठ दिखाने लगा। सभी इंतजार कर रहे थे कि ससुराल वाले कौन-सी गाड़ी लाएंगे। जैसे ही दूल्हे के स्वागत का समय आया, ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले, "बेटा, तेरे लिए हमने एक जबरदस्त गाड़ी मंगवाई है!" पप्पू खुश हो गया, लेकिन जैसे ही उसने गाड़ी देखी, उसके होश उड़ गए। वहाँ ऑडी नहीं, JCB खड़ी थी! पप्पू (हैरान होकर): "ससुर जी, ये क्या मजाक है? मैंने ऑडी मांगी थी!" ससुर जी (हंसते हुए): "बेटा, ऑडी तो आम लोग चलाते हैं, तू तो हमारा दामाद है! तुझे कुछ दमदार मिलना चाहिए, इसलिए ये JCB!" पूरा गांव हंस-हंसकर लोटपोट हो गया, और पप्पू अब तक सोच रहा होगा – "लेन-देन हुआ या धोखा?"

पप्पू की भक्ति और अच्छाइयों की हास्य कहानी

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  पप्पू की भक्ति और अच्छाइयों की हास्य कहानी पप्पू को समाज में अपनी अच्छी छवि बनाने का बहुत शौक था। इसलिए वह धर्म का ऐसा दिखावा करता कि देखने वाले भी चकरा जाएं। धर्मप्रेमी पप्पू एक दिन पप्पू ने अपने घर में बड़ी-सी मूर्ति स्थापित की। उसके दोस्तों ने पूछा, "भाई, अचानक इतनी भक्ति?" पप्पू बोला, "बस, अब मैं बड़ा धार्मिक आदमी बन गया हूँ।" फिर उसने मूर्ति के सामने गंगाजल और दूध चढ़ाने की बजाए एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल उड़ेल दी। दोस्त चौंक गए, "ये क्या कर रहा है?" पप्पू गंभीरता से बोला, "भगवान को भी ज़माने के साथ बदलना चाहिए, पुराने ज़माने में गंगा जल था, अब कोल्ड ड्रिंक का जमाना है!" पांव पकड़ने का नाटक पप्पू को जब भी किसी से काम करवाना होता, वह उसके पैर पकड़ लेता। गाँव में एक दिन उसने नेता जी के पैर पकड़ लिए। नेता जी खुश होकर बोले, "बेटा, क्या चाहिए?" पप्पू ने झट से कहा, "बस एक सरकारी ठेका दिलवा दीजिए!" नेता जी समझ गए कि यह तो पैरों के सहारे ऊँचाई पर चढ़ने वाला आदमी है। पत्नी और परोपकार पप्पू की पहली पत्नी उसे छोड़कर चली ग...

पप्पू मास्टर बन गया

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  पप्पू मास्टर बन गया पप्पू बचपन से ही शरारती था। स्कूल में गिल्ली-डंडा खेलना, घंटी बजने के बाद भी कक्षा के बाहर घूमना, और प्रधानाचार्य से उलझना उसकी पुरानी आदत थी। किस्मत देखिए, बड़ा होकर वही पप्पू मास्टर बन गया! अब जब वह स्कूल में शिक्षक था, तो भी उसकी वही मस्तमौला आदतें बनी रहीं। कभी समय पर स्कूल पहुँच जाता, तो कभी देर से आता। प्रधानाचार्य, जो कभी उसके छात्र जीवन में भी उसके दुश्मन जैसे थे, अब भी उससे परेशान रहते। एक दिन पप्पू फिर से लेट पहुँचा। प्रधानाचार्य ने गुस्से में पूछा, "पप्पू! तुम हमेशा देर से क्यों आते हो?" पप्पू ने बिना सोचे-समझे ज़ोर से जवाब दिया, "सर! कभी आप भी सही समय पर आया करो!" प्रधानाचार्य को तो पहले गुस्सा आया, लेकिन फिर पूरी स्टाफ रूम उसकी बात पर ठहाके लगाने लगी। सभी समझ गए थे कि पप्पू बचपन में भी ऐसा ही था और मास्टर बनने के बाद भी वैसा ही रहेगा!