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पप्पू मास्टर बन गया

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  पप्पू मास्टर बन गया पप्पू बचपन से ही शरारती था। स्कूल में गिल्ली-डंडा खेलना, घंटी बजने के बाद भी कक्षा के बाहर घूमना, और प्रधानाचार्य से उलझना उसकी पुरानी आदत थी। किस्मत देखिए, बड़ा होकर वही पप्पू मास्टर बन गया! अब जब वह स्कूल में शिक्षक था, तो भी उसकी वही मस्तमौला आदतें बनी रहीं। कभी समय पर स्कूल पहुँच जाता, तो कभी देर से आता। प्रधानाचार्य, जो कभी उसके छात्र जीवन में भी उसके दुश्मन जैसे थे, अब भी उससे परेशान रहते। एक दिन पप्पू फिर से लेट पहुँचा। प्रधानाचार्य ने गुस्से में पूछा, "पप्पू! तुम हमेशा देर से क्यों आते हो?" पप्पू ने बिना सोचे-समझे ज़ोर से जवाब दिया, "सर! कभी आप भी सही समय पर आया करो!" प्रधानाचार्य को तो पहले गुस्सा आया, लेकिन फिर पूरी स्टाफ रूम उसकी बात पर ठहाके लगाने लगी। सभी समझ गए थे कि पप्पू बचपन में भी ऐसा ही था और मास्टर बनने के बाद भी वैसा ही रहेगा!

पप्पू की दादागिरी और अदालत के चक्कर

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  पप्पू की दादागिरी और अदालत के चक्कर पप्पू बचपन से ही बदमाशी में अव्वल था। पूरे मोहल्ले में उसकी धाक थी—बच्चों की पतंगें लूटना, दुकान से उधार लेकर पैसे भूल जाना और पड़ोसियों के बगीचे से आम तोड़ना उसकी रोज़ की आदत थी। लोग उससे परेशान थे, मगर उसके पिताजी बड़े रईस आदमी थे, इसलिए कोई कुछ कह नहीं सकता था। समय बीता, पप्पू बड़ा हुआ, मगर उसकी हरकतें वैसी ही रहीं। अब उसने अपने चाचा की ज़मीन हड़पने का प्लान बनाया। चाचा सीधे-सादे थे, मगर पप्पू को अच्छे से जानते थे। जब उन्होंने विरोध किया, तो पप्पू ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर ऐसा माहौल बना दिया कि चाचा को ही गलत ठहराने की कोशिश की जाने लगी। मामला कोर्ट तक पहुँच गया। अगले कई साल तक पप्पू और उसके चाचा के बीच अदालत में जंग चलती रही। चाचा को न्याय मिलने में वक्त लगा, मगर अंततः कोर्ट ने पप्पू की धोखाधड़ी पकड़ ली, और उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा। अब पप्पू की हालत यह थी कि लोग उसे देखकर हँसते और कहते, "अरे भाई, पहले तो मोहल्ले का गुंडा था, अब शरीफ बनने का ढोंग कर रहा है!" मगर पप्पू को अपनी इज़्ज़त बचाने की चिंता सताने लगी। उसने सोचा, अब मु...

शक का बीज (हास्य कहानी)

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  शक का बीज (हास्य कहानी) पप्पू ने कॉलेज में एक लड़की, सीमा, को पटाकर उससे शादी कर ली। प्यार के फूल खिले, पर शादी के बाद शक का बीज भी अंकुरित हो गया। शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे पप्पू को शक होने लगा कि सीमा उससे कुछ छुपा रही है। एक दिन उसने देखा कि सीमा किसी फॉर्म पर कुछ भर रही थी। पप्पू ने झाँककर देखा – "सरकारी नौकरी का फॉर्म!" पप्पू के होश उड़ गए। उसने तुरंत अपने दोस्त लल्लू से चर्चा की – पप्पू: "भाई, मुझे शक हो रहा है, मेरी बीवी कुछ छुपा रही है।" लल्लू: "क्या हुआ?" पप्पू: "वो सरकारी नौकरी का फॉर्म भर रही थी!" लल्लू: "अरे वाह! अच्छी बात है न!" पप्पू: "नहीं बे, मुझे लगता है कि वो पहले से ही नौकरी में थी, और मुझसे छुपाया!" पप्पू के दिमाग़ में तूफ़ान चलने लगा – "अगर सीमा पहले से नौकरी में थी, तो उसने मुझसे शादी क्यों की? क्या वो सिर्फ़ मेरे घर के परांठों के लिए आई थी?" अब पप्पू हर रोज़ सीमा से सवाल करने लगा – "तुम कहीं ऑफिस जाती थी पहले?" "तुम्हारा पहले से सैलेरी अकाउंट था?...

गिरा हुआ पप्पू – एक हास्य कथा

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  गिरा हुआ पप्पू – एक हास्य कथा गाँव में पप्पू अपनी बेवकूफी और उल्टी सोच के लिए बदनाम था। वह अक्सर बिना सोचे-समझे बातें करता और खुद ही मुसीबत में फँस जाता। लेकिन इस बार जो हुआ, उसने पूरे गाँव को हँसने पर मजबूर कर दिया। शक का बीज पप्पू की शादी दो साल पहले रज्जो से हुई थी। कुछ महीने पहले ही रज्जो ने एक प्यारे से लड़के को जन्म दिया। पूरा गाँव खुश था, लेकिन पप्पू के दिमाग में अजीब शक पलने लगा। वह रोज़ बच्चे को ध्यान से देखता और सोचता, "कहीं ये मेरा बेटा तो नहीं दिखता!" फिर एक दिन उसकी पत्नी बच्चे को गोद में लेकर बैठी थी कि पप्पू चिल्लाया, "रज्जो! सच-सच बता, ये लड़का मेरे बाप का है ना?" गाँव वालों को लगा, उन्होंने कुछ गलत सुना है। लेकिन पप्पू ज़िद पर अड़ा रहा। उसने गाँव के पंचों को बुलाकर ऐलान किया, "मुझे पूरा यकीन है कि ये बच्चा मेरे बाप का है, मेरी बीवी ने धोखा दिया है!" गाँव वालों की चकरघिन्नी गाँव के बूढ़े चौधरी साहब ने माथा पीट लिया, "अरे पप्पू, तू खुद उस बच्चे का बाप है!" लेकिन पप्पू नहीं माना, "नहीं चौधरी जी! मेरी शक्ल इस पर नह...

पप्पू और उसकी ज़िंदगी की उलझन

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 पप्पू और उसकी ज़िंदगी की उलझन पप्पू एक साधारण गाँव का लड़का था, जिसे उसकी माँ ने बड़े लाड़-प्यार से पाला था। बचपन से ही उसकी माँ उसे समझाया करती थी, "बेटा, जब भी कोई बड़ा फैसला लेना हो, पहले सोचना, फिर करना।" लेकिन पप्पू हमेशा जल्दबाजी में फैसले लेने का आदी था। समय बीता, और पप्पू बड़ा हो गया। परिवार की मर्जी से उसकी शादी राधा से हो गई। राधा एक समझदार और सुलझी हुई लड़की थी, लेकिन पप्पू को शादीशुदा ज़िंदगी की गंभीरता समझ नहीं आई। छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होती और पप्पू बिना सोचे-समझे तलाक देने की धमकी देता। आखिरकार, गुस्से में आकर उसने तलाक के कागजों पर दस्तखत कर दिए। जब यह खबर उसकी माँ को मिली, तो उन्होंने अपना सिर पकड़ लिया और बोलीं, "बेटा, मैंने तुझे इतने प्यार से पाला था, इतनी मेहनत की थी, और तूने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला इतनी आसानी से ले लिया? तूने हमारे नाम की मिट्टी में मिला दी!" पप्पू को तब एहसास हुआ कि उसने ग़लती की है। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। गाँव में उसकी प्रतिष्ठा गिर गई, माँ ने उससे बात करना बंद कर दिया, और राधा अपनी नई ज़िंदगी में आगे बढ़ गई...

पप्पू का घमंड

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  पप्पू का घमंड पप्पू पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन इस बार उसके पास एक खास सहारा था—उसके पिता ही परीक्षा के सुपरवाइजर थे! जब परीक्षा का समय आया, तो पप्पू निश्चिंत था। उसके पिता ने उसकी मदद कर दी, और बिना मेहनत किए ही वह पास हो गया। रिजल्ट के बाद पप्पू इतराने लगा। वह दोस्तों से कहने लगा, "देखा! मैं तो बिना मेहनत के ही पास हो गया। तुम्हें घंटों पढ़ना पड़ा, लेकिन मेरा काम तो एक झटके में हो गया!" धीरे-धीरे पप्पू का घमंड बढ़ता गया। वह खुद को बहुत होशियार समझने लगा और स्कूल में दूसरों को नीचा दिखाने लगा। लेकिन अगली परीक्षा में हालात बदल गए—इस बार उसके पिता सुपरवाइजर नहीं थे। परीक्षा में आते ही पप्पू के हाथ-पाँव फूल गए। उसने कुछ भी नहीं पढ़ा था, और अब उसे कोई मदद भी नहीं मिल सकती थी। जैसे ही उसने नकल करने की कोशिश की, शिक्षक ने उसे पकड़ लिया। पूरी कक्षा के सामने उसकी सख्त फटकार लगी और स्कूल में उसकी बेइज्जती हो गई। पप्पू को समझ आ गया कि बिना मेहनत की सफलता टिकती नहीं। अब उसने ठान लिया कि वह खुद की काबिलियत से ही आगे बढ़ेगा। शिक्षा: घमंड और अनुचित तरीके से मिली सफलता अधिक समय तक न...

पप्पू नकल करके पास हुआ

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  पप्पू नकल करके पास हुआ पप्पू पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देता था। हर बार परीक्षा में फेल हो जाता, और उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाते थे। इस बार भी परीक्षा पास करने की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन पप्पू ने एक और रास्ता ढूंढ लिया—नकल करने का! परीक्षा के दिन पप्पू ने किताब के छोटे-छोटे पन्ने बना लिए और उन्हें अपने कपड़ों में छुपा लिया। जैसे ही परीक्षा शुरू हुई, उसने धीरे-धीरे उन पन्नों से उत्तर देखने शुरू कर दिए। कोई उसे पकड़ न सका, और इस बार वह अच्छे अंकों से पास हो गया। रिजल्ट के दिन घर में खुशी का माहौल था। माता-पिता गर्व महसूस कर रहे थे, लेकिन पप्पू के मन में डर था। उसे लग रहा था कि उसने जो किया, वह सही नहीं था। अगली परीक्षा में उसने फिर नकल करने की कोशिश की, लेकिन इस बार शिक्षक ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। पूरी कक्षा के सामने उसकी बेइज्जती हुई, और उसके माता-पिता को स्कूल बुलाया गया। पप्पू को एहसास हुआ कि नकल करके पास होने की खुशी असली खुशी नहीं होती। उसने ठान लिया कि अब मेहनत से पढ़ेगा और अपनी काबिलियत के दम पर सफलता हासिल करेगा। यह कहानी हमें सिखाती है कि नकल से सफलता तो मिल स...